1989 में मध्यप्रदेश लोक सेवा आयोग की राज्य सेवा परीक्षा में सर्वोच्च स्थान लेकर श्री अनिल टुटेजा डिप्टी कलेक्टर बने और अंचल के लिए ऐतिहासिक उपलब्धि थी. सफलता का उनका यह मार्ग कठिनाईयों से भरा हुआ था. इन कठिनाइयों का स्वरूप वैसा ही था जैसा कि आम तौर पर पिछड़े हुए क्षेत्र के सभी प्रतियोगियों के समक्ष होता है. जैसे- मार्गदर्शन का अभाव, अध्ययन सामग्री का अभाव, सफल लोगों से सम्पर्क का अभाव आदि. इन कठिनाईयों के कारण पिछड़े क्षेत्र के प्रतियोगी लक्ष्य प्राप्ति में सफल नहीं हो पाते. इस बात को ध्यान में रखते हुए श्री टुटेजा ने एक ऐसे संस्थान की परिकल्पना की जो नगर व अंचल के प्रतियोगियों को सफलता का सही मार्ग दिखा सके. उनकी यह कल्पना ५ सितम्बर १९९१ को टुटेजा ट्यूटोरियल्स के रूप में साकार हुई.